तुम साथी बन जाते हो
होता हूँ जब भी अकेला
तुम याद आ जाते हो।
कितना दुर्गम होगा
उन राहों से गुजरना
जहाँ कभी हम
साथ चला करते थे।
कितनी मुश्किल होगी
वो हीं बातें करना
जो एक-दूजे से
हम कभी किया करते थे।
क्या गुजरेगा वैसा
वक्त कभी
तुम संग जैसा
गुजरता था कभी।
क्या उतनी उमंग
उतनी पीड़ा...
मिल पाएगी कभी,
जितना तुम्हारे साथ होने
और बिछड़ने से
मिलती थी कभी।
रहने दो!
फिर अब यह न हो पाएगा,
तुम जैसा न था कोई
न कोई हो पाएगा।
साथ हमारा
बस इतना हीं था
मान लिया अब मैने भी,
पर तेरी यादों की संगत
छूट नहीं पाएगी कभी।
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