इस गुम-शुदा दिल से तब मिलेंगे
ये किस को ख़बर है अब के बिछड़े
क्या जानिए उस से कब मिलेंगे
जान-ओ-दिल-ओ-होश-ओ-सब्र-ओ-ताक़त
इक मिलने से उस के सब मिलेंगे
दुनिया है सँभल के दिल लगाना
याँ लोग अजब अजब मिलेंगे
ज़ाहिर में तो ढब नहीं है कोई
हम यार से किस सबब मिलेंगे
होगा कभी वो भी दौर जो हम
दिलदार से रोज़-ओ-शब मिलेंगे
आराम 'हसन' तभी तो होगा
उस लब से जब अपने लब मिलेंगे .
2. दिल ख़ुदा जाने किस के पास रहा
इन दिनों जी बहुत उदास रहा
क्या मज़ा वस्ल में मिला उस के
मैं रहा भी तो बे-हवास रहा
यूँ खिला अपना ये गुल-ए-उम्मीद
कि सदा दिल ये दाग़-ए-यास रहा
शाद हूँ मैं कि देख मेरा हाल
ग़ैर करने से इल्तिमास रहा
जब तलक कि जिया 'हसन' तब तक
ग़म मिरे दिल पे बे-क़यास रहा .
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