Tuesday, January 5, 2021

वफा शायरी

उस की वफ़ा न मेरी वफ़ा का सवाल था
दोनों ही चुप थे सिर्फ़ अना का सवाल था
- अब्बास दाना


है वफ़ा तुझ में तो पाबंद-ए-वफ़ा हूँ मैं भी
मुझ से मिल बैठ मोहब्बत की फ़ज़ा हूँ मैं भी
- सबिहा ख़ान


काश होती वफ़ा ज़माने में
पर हक़ीक़त कहां फ़साने में
- अदील शाकिर


की वफ़ा यार से एक एक जफ़ा के बदले
हम ने गिन गिन के लिए ख़ून-ए-वफ़ा के बदले
- फ़ानी बदायूंनी


दार-ओ-मदार-ए-इश्क़ वफ़ा पर है हम-नशीं
वो क्या करे कि जिस से वफ़ा भी न हो सके
- मख़मूर जालंधरी


सितम करना करम करना वफ़ा करना जफ़ा करना
मगर जो अहद कर लेना वो आख़िर तक वफ़ा करना
- सय्यद नज़ीर हसन सख़ा देहलवी

हज़ारों बार कह कर बेवफ़ा को बा-वफ़ा मैं ने
बताया है ज़माने को वफ़ा का रास्ता मैं ने
- दिवाकर राही


आरज़ू है वफ़ा करे कोई
जी न चाहे तो क्या करे कोई
- दाग़ देहलवी

वफ़ा के बराबर जफ़ा चाहता हूं
तिरा हौसला देखना चाहता हूं
- जिगर जालंधरी


वफ़ा करते उसे देखा नहीं है
मगर वो बेवफ़ा लगता नहीं है
- नाज़िम नक़वी

इश्क में यार ग़र वफा न करे, 
 क्या करे कोई और क्या न करे. 

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