ये ख़याल-ए-पुख़्ता जो ख़ाम थे मुझे खा गए
- लियाक़त अली आसिम
क्यूं सबा की न हो रफ़्तार ग़लत
गुल ग़लत ग़ुंचे ग़लत ख़ार ग़लत
- बाक़ी सिद्दीक़ी
हम डूब जाएं अपने ही ग़म के बहाव में
हां हां ग़लत ग़लत मिरे यारा बहुत ग़लत
- नबील अहमद नबील
मैं एक बात बताता मगर बुज़ुर्गों ने
हर एक बात बताना ग़लत बताया है
- अक़ील शाह
अव्वल वो ग़लत बनाने वाला
आख़िर को ग़लत मिटा रहा है
- शाहीन अब्बास
ये ग़लत क्या है तजरबे को अगर
हासिल-ए-हादसात कहते हैं
- द्वारका दास शोला
बहस ग़लत होने पर 'शाहीं'
आप ही पीछे हट जाता हूँ
- जावेद शाहीन
रास्ता भी ग़लत हो सकता है मंज़िल भी ग़लत
हर सितारा तो सितारा भी नहीं हो सकता
- सलीम कौसर
वादा ग़लत पते भी बताए हुए ग़लत
तुम अपने घर मिले न रक़ीबों के घर मिले
- क़मर जलालवी
हम ग़लत एहतिमाल रखते थे
तुझ से क्या क्या ख़याल रखते थे
- मीर असर
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