Thursday, April 2, 2020

हिदायत व अन्य शायरी

कुछ इस तरह की हिदायत मिली है अब के मुझे
कि सर पे क़हर भी टूटें तो दिल बड़ा रखना!

हिदायत दे दी है दिल को, रहे दायरे में ही अपने,
जो अपनाया ना किसी ने,बिन बात बेघर हो जाएगा।

हम सायादार पेड़ जमाने के काम आए
सूखने लगे तो फिर जलाने के काम आए
तलवार की म्यान को कभी फेंकना नही
मुमकिन है दुश्मनो को डराने के काम आए! 

रात के बाद नए दिन की सहर आएगी 
दिन नहीं बदलेगा तारीख़ बदल जाएगी! 

मैं पत्थर हूँ मेरे सर पर यही इल्ज़ाम आता है,
कहीं भी आईना टूटे मेरा ही नाम आता है !



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