Saturday, April 11, 2020

दीवार शायरी

कल जहां दीवार ही दीवार थी
अब वहां दर है जबीं है इश्क़ है
- तौक़ीर तक़ी


मुझे गिरना है तो मैं अपने ही क़दमों में गिरूं
जिस तरह साया-ए-दीवार पे दीवार गिरे
- शकेब जलाली


जो रुकावट थी हमारी राह की
रास्ता निकला उसी दीवार से
- अज़हर अब्बास


मैं बिछड़ों को मिलाने जा रहा हूँ
चलो दीवार ढाने जा रहा हूँ
- फ़रहत एहसास

घर में क्या आया कि मुझ को
दीवारों ने घेर लिया है
- मोहम्मद अल्वी


ऐ दोपहर की धूप बता क्या जवाब दूँ
दीवार पूछती है कि साया किधर गया
- उम्मीद फ़ाज़ली

दीवार क्या गिरी मिरे ख़स्ता मकान की
लोगों ने मेरे सेहन में रस्ते बना लिए
- सिब्त अली सबा


इस दौर-ए-ना-मुराद से ये तजरबा हुआ
दीवार गुफ़्तुगू के लिए बेहतरीन है
- राना आमिर लियाक़त

दीवार का बोझ बाम पर है
ये घर भी हुआ ख़राब कैसा
- अबुल हसनात हक़्क़ी


दीवारों की बस्ती में
दरवाज़ा लिक्खा मैं ने
- जलील हश्मी



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