जब शाम का सूरज ढलता है,
एक दर्द सा दिल में पलता है.
तन्हाई बड़ी तड़पती है,
एक याद किसी की आती है.
*
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए
बशीर बद्र
*
आप भी इतना समझ लो मुझको समझने के बाद,
आदमी मजबूर हो जाता है दिल आने के बाद.
आपके आने से पहले सब कुछ था याद मुझे,
याद फिर आएगा मुझे आपके जाने के बाद.
*
कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब
आज तुम याद बे-हिसाब आए
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
*
उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है
राहत इंदौरी
*
एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं
फ़िराक़ गोरखपुरी
*
अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँ
अब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ
अनवर शऊर
*
शाम भी थी धुआँ धुआँ हुस्न भी था उदास उदास
दिल को कई कहानियाँ याद सी आ के रह गईं
फ़िराक़ गोरखपुरी
*
याद-ए-माज़ी 'अज़ाब है या-रब
छीन ले मुझ से हाफ़िज़ा मेरा
अख़्तर अंसारी
*
चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है
हम को अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है
हसरत मोहानी
*
दिल धड़कने का सबब याद आया
वो तिरी याद थी अब याद आया
नासिर काज़मी
*
क्या सितम है कि अब तिरी सूरत
ग़ौर करने पे याद आती है
जौन एलिया
*
आप के बा'द हर घड़ी हम ने
आप के साथ ही गुज़ारी है
गुलज़ार
*
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन को
क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया
साहिर लुधियानवी
*
नहीं आती तो याद उन की महीनों तक नहीं आती
मगर जब याद आते हैं तो अक्सर याद आते हैं
हसरत मोहानी
*
तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं
किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
*
आज इक और बरस बीत गया उस के बग़ैर
जिस के होते हुए होते थे ज़माने मेरे
अहमद फ़राज़
*
सोचता हूँ कि उस की याद आख़िर
अब किसे रात भर जगाती है
जौन एलिया
*
तुम ने किया न याद कभी भूल कर हमें
हम ने तुम्हारी याद में सब कुछ भुला दिया
बहादुर शाह ज़फ़र
*
तसद्दुक़ इस करम के मैं कभी तन्हा नहीं रहता
कि जिस दिन तुम नहीं आते तुम्हारी याद आती है
जलील मानिकपूरी
*
वफ़ा करेंगे निबाहेंगे बात मानेंगे
तुम्हें भी याद है कुछ ये कलाम किस का था
दाग़ देहलवी
*
ये इल्म का सौदा ये रिसाले ये किताबें
इक शख़्स की यादों को भुलाने के लिए हैं
जाँ निसार अख़्तर
*
वो कोई दोस्त था अच्छे दिनों का
जो पिछली रात से याद आ रहा है
नासिर काज़मी
*
वही फिर मुझे याद आने लगे हैं
जिन्हें भूलने में ज़माने लगे हैं
ख़ुमार बाराबंकवी
*
तुम भूल कर भी याद नहीं करते हो कभी
हम तो तुम्हारी याद में सब कुछ भुला चुके
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
*
दिल की चोटों ने कभी चैन से रहने न दिया
जब चली सर्द हवा मैं ने तुझे याद किया
जोश मलीहाबादी
*
ग़रज़ कि काट दिए ज़िंदगी के दिन ऐ दोस्त
वो तेरी याद में हों या तुझे भुलाने में
फ़िराक़ गोरखपुरी
*
याद रखना ही मोहब्बत में नहीं है सब कुछ
भूल जाना भी बड़ी बात हुआ करती है
जमाल एहसानी
*
इस ज़िंदगी में इतनी फ़राग़त किसे नसीब
इतना न याद आ कि तुझे भूल जाएँ हम
अहमद फ़राज़
*
उन का ज़िक्र उन की तमन्ना उन की याद
वक़्त कितना क़ीमती है आज कल
शकील बदायूनी
*
कुछ ख़बर है तुझे ओ चैन से सोने वाले
रात भर कौन तिरी याद में बेदार रहा
हिज्र नाज़िम अली ख़ान
*
याद उसे इंतिहाई करते हैं
सो हम उस की बुराई करते हैं
जौन एलिया
*
अब तो हर बात याद रहती है
ग़ालिबन मैं किसी को भूल गया
जौन एलिया
*
याद उस की इतनी ख़ूब नहीं 'मीर' बाज़ आ
नादान फिर वो जी से भुलाया न जाएगा
मीर तक़ी मीर
*
''आप की याद आती रही रात भर''
चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
*
अब तो उन की याद भी आती नहीं
कितनी तन्हा हो गईं तन्हाइयाँ
फ़िराक़ गोरखपुरी
*
जाते हो ख़ुदा-हाफ़िज़ हाँ इतनी गुज़ारिश है
जब याद हम आ जाएँ मिलने की दुआ करना
जलील मानिकपूरी
*
इक अजब हाल है कि अब उस को
याद करना भी बेवफ़ाई है
जौन एलिया
*
कोई वीरानी सी वीरानी है
दश्त को देख के घर याद आया
*
यूँ ही गर रोता रहा ग़ालिब तो ऐ अहल-ए-जहाँ
देखना इन बस्तियों को तुम कि वीरान हो गईं
*
गिर्या चाहे है ख़राबी मिरे काशाने की
दर-ओ-दीवार से टपके है बियाबाँ होना
*
वो जो हम में तुम में क़रार था तुम्हें याद हो कि न याद हो
वही यानी वादा निबाह का तुम्हें याद हो कि न याद हो
मोमिन ख़ाँ मोमिन
*
चोरी चोरी हम से तुम आ कर मिले थे जिस जगह
मुद्दतें गुज़रीं पर अब तक वो ठिकाना याद है
हसरत मोहानी
*
जाते जाते आप इतना काम तो कीजे मिरा
याद का सारा सर-ओ-सामाँ जलाते जाइए
जौन एलिया
*
तुम से छुट कर भी तुम्हें भूलना आसान न था
तुम को ही याद किया तुम को भुलाने के लिए
निदा फ़ाज़ली
*
तुम्हारी याद में जीने की आरज़ू है अभी
कुछ अपना हाल सँभालूँ अगर इजाज़त हो
जौन एलिया
*
ज़रा सी बात सही तेरा याद आ जाना
ज़रा सी बात बहुत देर तक रुलाती थी
नासिर काज़मी
*
सुना है हमें वो भुलाने लगे हैं
तो क्या हम उन्हें याद आने लगे हैं
ख़ुमार बाराबंकवी
*
वो नहीं भूलता जहाँ जाऊँ
हाए मैं क्या करूँ कहाँ जाऊँ
इमाम बख़्श नासिख़
*
किसी सबब से अगर बोलता नहीं हूँ मैं
तो यूँ नहीं कि तुझे सोचता नहीं हूँ मैं
इफ़्तिख़ार मुग़ल
*
आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा
आज फिर याद कोई चोट पुरानी आई
इक़बाल अशहर
*
दुनिया-ए-तसव्वुर हम आबाद नहीं करते
याद आते हो तुम ख़ुद ही हम याद नहीं करते
फ़ना निज़ामी कानपुरी
*
थक गया मैं करते करते याद तुझ को
अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ
क़तील शिफ़ाई
*
जिस को तुम भूल गए याद करे कौन उस को
जिस को तुम याद हो वो और किसे याद करे
जोश मलसियानी
*
यूँ बरसती हैं तसव्वुर में पुरानी यादें
जैसे बरसात की रिम-झिम में समाँ होता है
क़तील शिफ़ाई
*
याद आई है तो फिर टूट के याद आई है
कोई गुज़री हुई मंज़िल कोई भूली हुई दोस्त
अहमद फ़राज़
*
दिल है कि तिरी याद से ख़ाली नहीं रहता
शायद ही कभी मैं ने तुझे याद किया हो
ज़ेब ग़ौरी
*
कुछ बिखरी हुई यादों के क़िस्से भी बहुत थे
कुछ उस ने भी बालों को खुला छोड़ दिया था
मुनव्वर राना
*
हम ही में थी न कोई बात याद न तुम को आ सके
तुम ने हमें भुला दिया हम न तुम्हें भुला सके
हफ़ीज़ जालंधरी
*
*
उन का ग़म उन का तसव्वुर उन की याद
कट रही है ज़िंदगी आराम से
महशर इनायती
*
ज़िंदगी क्या हुए वो अपने ज़माने वाले
याद आते हैं बहुत दिल को दुखाने वाले
अख़्तर सईद ख़ान
*
इस क़दर रोया हूँ तेरी याद में
आईने आँखों के धुँदले हो गए
नासिर काज़मी
*
याद आई वो पहली बारिश
जब तुझे एक नज़र देखा था
नासिर काज़मी
*
जब तुझे याद कर लिया सुब्ह महक महक उठी
जब तिरा ग़म जगा लिया रात मचल मचल गई
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
*
हम उसे याद बहुत आएँगे
जब उसे भी कोई ठुकराएगा
क़तील शिफ़ाई
*
कितने नादाँ हैं तिरे भूलने वाले कि तुझे
याद करने के लिए उम्र पड़ी हो जैसे
अहमद फ़राज़
*
दुनिया के सितम याद न अपनी ही वफ़ा याद
अब मुझ को नहीं कुछ भी मोहब्बत के सिवा याद
जिगर मुरादाबादी
*
ये हक़ीक़त है कि अहबाब को हम
याद ही कब थे जो अब याद नहीं
नासिर काज़मी
*
यूँही दिल ने चाहा था रोना-रुलाना
तिरी याद तो बन गई इक बहाना
साहिर लुधियानवी
*
बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी
लोग बे-वज्ह उदासी का सबब पूछेंगे
कफ़ील आज़र अमरोहवी
*
जिस तरह लोग ख़सारे में बहुत सोचते हैं
आज कल हम तिरे बारे में बहुत सोचते हैं
इक़बाल कौसर
*
तन्हाइयाँ तुम्हारा पता पूछती रहीं
शब-भर तुम्हारी याद ने सोने नहीं दिया
अज्ञात
*
दिन गुज़ारा था बड़ी मुश्किल से
फिर तिरा वादा-ए-शब याद आया
नासिर काज़मी
*
दिल में इक दर्द उठा आँखों में आँसू भर आए
बैठे बैठे हमें क्या जानिए क्या याद आया
वज़ीर अली सबा लखनवी
*
अब उस की शक्ल भी मुश्किल से याद आती है
वो जिस के नाम से होते न थे जुदा मिरे लब
अहमद मुश्ताक़
*
दुनिया में हैं काम बहुत
मुझ को इतना याद न आ
हफ़ीज़ होशियारपुरी
*
भुलाई नहीं जा सकेंगी ये बातें
तुम्हें याद आएँगे हम याद रखना
हफ़ीज़ जालंधरी
*
आप की याद आती रही रात भर
चश्म-ए-नम मुस्कुराती रही रात भर
मख़दूम मुहिउद्दीन
*
आ गई याद शाम ढलते ही
बुझ गया दिल चराग़ जलते ही
मुनीर नियाज़ी
*
कुछ खटकता तो है पहलू में मिरे रह रह कर
अब ख़ुदा जाने तिरी याद है या दिल मेरा
जिगर मुरादाबादी
*
याद करने पे भी दोस्त आए न याद
दोस्तों के करम याद आते रहे
ख़ुमार बाराबंकवी
*
हम भूल सके हैं न तुझे भूल सकेंगे
तू याद रहेगा हमें हाँ याद रहेगा
इब्न-ए-इंशा
*
उस ने गोया मुझी को याद रखा
मैं भी गोया उसी को भूल गया
जौन एलिया
*
सब कहाँ कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं
ख़ाक में क्या सूरतें होंगी कि पिन्हाँ हो गईं
मिर्ज़ा ग़ालिब
*
गुज़र जाएँगे जब दिन गुज़रे आलम याद आएँगे
हमें तुम याद आओगे तुम्हें हम याद आएँगे
कलीम आजिज़
*
कभी हम में तुम में भी चाह थी कभी हम से तुम से भी राह थी
कभी हम भी तुम भी थे आश्ना तुम्हें याद हो कि न याद हो
मोमिन ख़ाँ मोमिन
*
ज़रा देर बैठे थे तन्हाई में
तिरी याद आँखें दुखाने लगी
आदिल मंसूरी
*
'अमीर' अब हिचकियाँ आने लगी हैं
कहीं मैं याद फ़रमाया गया हूँ
अमीर मीनाई
*
ख़्वाबों पर इख़्तियार न यादों पे ज़ोर है
कब ज़िंदगी गुज़ारी है अपने हिसाब में
फ़ातिमा हसन
*
गोया तुम्हारी याद ही मेरा इलाज है
होता है पहरों ज़िक्र तुम्हारा तबीब से
आग़ा हश्र काश्मीरी
*
कौन उठाएगा तुम्हारी ये जफ़ा मेरे बाद
याद आएगी बहुत मेरी वफ़ा मेरे बाद
अमीर मीनाई
*
भूल गई वो शक्ल भी आख़िर
कब तक याद कोई रहता है
अहमद मुश्ताक़
*
तुझ से मिलने की तमन्ना भी बहुत है लेकिन
आने जाने में किराया भी बहुत लगता है
राहत इंदौरी
*
हाँ उन्हीं लोगों से दुनिया में शिकायत है हमें
हाँ वही लोग जो अक्सर हमें याद आए हैं
राही मासूम रज़ा
*
ज़िंदगी यूँ भी गुज़र ही जाती
क्यूँ तिरा राहगुज़र याद आया
मिर्ज़ा ग़ालिब
*
तुम्हें याद ही न आऊँ ये है और बात वर्ना
मैं नहीं हूँ दूर इतना कि सलाम तक न पहुँचे
कलीम आजिज़
*
मुझे याद करने से ये मुद्दआ था
निकल जाए दम हिचकियाँ आते आते
दाग़ देहलवी
*
जिस में हो याद भी तिरी शामिल
हाए उस बे-ख़ुदी को क्या कहिए
फ़िराक़ गोरखपुरी
*
कुछ लोग ख़यालों से चले जाएँ तो सोएँ
बीते हुए दिन रात न याद आएँ तो सोएँ
हबीब जालिब
*
इतनी सारी यादों के होते भी जब दिल में
वीरानी होती है तो हैरानी होती है
अफ़ज़ल ख़ान
*
वही आँखों में और आँखों से पोशीदा भी रहता है
मिरी यादों में इक भूला हुआ चेहरा भी रहता है
साक़ी फ़ारुक़ी
*
दिन भर तो मैं दुनिया के धंदों में खोया रहा
जब दीवारों से धूप ढली तुम याद आए
नासिर काज़मी
*
भुलाना हमारा मुबारक मुबारक
मगर शर्त ये है न याद आईएगा
जिगर मुरादाबादी
*
ढलेगी शाम जहाँ कुछ नज़र न आएगा
फिर इस के ब'अद बहुत याद घर की आएगी
राजेन्द्र मनचंदा बानी
*
मैं जाता हूँ दिल को तिरे पास छोड़े
मिरी याद तुझ को दिलाता रहेगा
ख़्वाजा मीर दर्द
*
यादों की बौछारों से जब पलकें भीगने लगती हैं
सोंधी सोंधी लगती है तब माज़ी की रुस्वाई भी
गुलज़ार
*
यूँ तिरी याद में दिन रात मगन रहता हूँ
दिल धड़कना तिरे क़दमों की सदा लगता है
शहज़ाद अहमद
*
हसीन यादों के चाँद को अलविदा'अ कह कर
मैं अपने घर के अँधेरे कमरों में लौट आया
हसन अब्बासी
*
आहटें सुन रहा हूँ यादों की
आज भी अपने इंतिज़ार में गुम
रसा चुग़ताई
*
गुम रहा हूँ तिरे ख़यालों में
तुझ को आवाज़ उम्र भर दी है
अहमद मुश्ताक़
*
मय-ख़ाने में क्यूँ याद-ए-ख़ुदा होती है अक्सर
मस्जिद में तो ज़िक्र-ए-मय-ओ-मीना नहीं होता
रियाज़ ख़ैराबादी
*
किस मुँह से करें उन के तग़ाफ़ुल की शिकायत
ख़ुद हम को मोहब्बत का सबक़ याद नहीं है
हफ़ीज़ बनारसी
*
याद आते हैं मोजज़े अपने
और उस के बदन का जादू भी
जौन एलिया
*
बचपन में हम ही थे या था और कोई
वहशत सी होने लगती है यादों से
अब्दुल अहद साज़
*
तुझे कुछ इश्क़ ओ उल्फ़त के सिवा भी याद है ऐ दिल
सुनाए जा रहा है एक ही अफ़्साना बरसों से
अब्दुल मजीद सालिक
*
रफ़्ता रफ़्ता सब तस्वीरें धुँदली होने लगती हैं
कितने चेहरे एक पुराने एल्बम में मर जाते हैं
ख़ुशबीर सिंह शाद
*
कहीं ये अपनी मोहब्बत की इंतिहा तो नहीं
बहुत दिनों से तिरी याद भी नहीं आई
अहमद राही
*
इस जुदाई में तुम अंदर से बिखर जाओगे
किसी मा'ज़ूर को देखोगे तो याद आऊँगा
वसी शाह
*
खींच लेना वो मिरा पर्दे का कोना दफ़अतन
और दुपट्टे से तिरा वो मुँह छुपाना याद है
हसरत मोहानी
*
फिर और तग़ाफ़ुल का सबब क्या है ख़ुदाया
मैं याद न आऊँ उन्हें मुमकिन ही नहीं है
हसरत मोहानी
*
हाए वो लोग जो देखे भी नहीं
याद आएँ तो रुला देते हैं
मोहम्मद अल्वी
*
मैं बहुत ख़ुश था कड़ी धूप के सन्नाटे में
क्यूँ तिरी याद का बादल मिरे सर पर आया
अहमद मुश्ताक़
*
आई जब उन की याद तो आती चली गई
हर नक़्श-ए-मा-सिवा को मिटाती चली गई
जिगर मुरादाबादी
*
हक़ीक़त खुल गई 'हसरत' तिरे तर्क-ए-मोहब्बत की
तुझे तो अब वो पहले से भी बढ़ कर याद आते हैं
हसरत मोहानी
*
इक ख़्वाब ही तो था जो फ़रामोश हो गया
इक याद ही तो थी जो भुला दी गई तो क्या
इफ़्तिख़ार आरिफ़
*
आती है बात बात मुझे बार बार याद
कहता हूँ दौड़ दौड़ के क़ासिद से राह में
दाग़ देहलवी
*
मिरी नज़र में वही मोहनी सी मूरत है
ये रात हिज्र की है फिर भी ख़ूब-सूरत है
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
*
शाम पड़ते ही किसी शख़्स की याद
कूचा-ए-जाँ में सदा करती है
परवीन शाकिर
*
वो सर्दियों की धूप की तरह ग़ुरूब हो गया
लिपट रही है याद जिस्म से लिहाफ़ की तरह
मुसव्विर सब्ज़वारी
*
आते आते आएगा उन को ख़याल
जाते जाते बे-ख़याली जाएगी
जलील मानिकपूरी
*
याद में तेरी जहाँ को भूलता जाता हूँ मैं
भूलने वाले कभी तुझ को भी याद आता हूँ मैं
आग़ा हश्र काश्मीरी
*
वही दिन है हमारी ईद का दिन
जो तिरी याद में गुज़रता है
मौलाना मोहम्मद अली जौहर
*
उठा लाया हूँ सारे ख़्वाब अपने
तिरी यादों के बोसीदा मकाँ से
रसा चुग़ताई
*
कुछ इस तरह से याद आते रहे हो
कि अब भूल जाने को जी चाहता है
अख़्तर शीरानी
*
उदास शाम की यादों भरी सुलगती हवा
हमें फिर आज पुराने दयार ले आई
राजेन्द्र मनचंदा बानी
*
जिन की यादों से रौशन हैं मेरी आँखें
दिल कहता है उन को भी मैं याद आता हूँ
हबीब जालिब
*
मेरे क़ाबू में न पहरों दिल-ए-नाशाद आया
वो मिरा भूलने वाला जो मुझे याद आया
दाग़ देहलवी
*
वो दिन गए कि 'दाग़' थी हर दम बुतों की याद
पढ़ते हैं पाँच वक़्त की अब तो नमाज़ हम
दाग़ देहलवी
*
भुला बैठे हो हम को आज लेकिन ये समझ लेना
बहुत पछताओगे जिस वक़्त हम कल याद आएँगे
अख़्तर शीरानी
*
जिस रोज़ किसी और पे बेदाद करोगे
ये याद रहे हम को बहुत याद करोगे
मोहम्मद रफ़ी सौदा
*
इक वही शख़्स मुझ को याद रहा
जिस को समझा था भूल जाऊँगा
सलमान अख़्तर
*
रुलाएगी मिरी याद उन को मुद्दतों साहब
करेंगे बज़्म में महसूस जब कमी मेरी
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
*
याद कर के और भी तकलीफ़ होती थी 'अदीम'
भूल जाने के सिवा अब कोई भी चारा न था
अदीम हाशमी
*
उस को भूले तो हुए हो 'फ़ानी'
क्या करोगे वो अगर याद आया
फ़ानी बदायुनी
*
तू याद आया तिरे जौर-ओ-सितम लेकिन न याद आए
मोहब्बत में ये मा'सूमी बड़ी मुश्किल से आती है
फ़िराक़ गोरखपुरी
*
ये किस अज़ाब में छोड़ा है तू ने इस दिल को
सुकून याद में तेरी न भूलने में क़रार
शोहरत बुख़ारी
*
रश्क से नाम नहीं लेते कि सुन ले न कोई
दिल ही दिल में उसे हम याद किया करते हैं
इमाम बख़्श नासिख़
*
हम अपने रफ़्तगाँ को याद रखना चाहते हैं
दिलों को दर्द से आबाद रखना चाहते हैं
इफ़्तिख़ार आरिफ़
*
हमें याद रखना हमें याद करना
अगर कोई ताज़ा सितम याद आए
हफ़ीज़ जौनपुरी
*
मौसम-ए-याद यूँ उजलत में न वारे जाएँ
हम वो लम्हे हैं जो फ़ुर्सत से गुज़ारे जाएँ
कुलदीप कुमार
*
तुम जिसे याद करो फिर उसे क्या याद रहे
न ख़ुदाई की हो परवा न ख़ुदा याद रहे
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
*
रात तेरी यादों ने दिल को इस तरह छेड़ा
जैसे कोई चुटकी ले नर्म नर्म गालों में
बशीर बद्र
*
आज क्या लौटते लम्हात मयस्सर आए
याद तुम अपनी इनायात से बढ़ कर आए
राजेन्द्र मनचंदा बानी
*
तुम को भुला रही थी कि तुम याद आ गए
मैं ज़हर खा रही थी कि तुम याद गए
अंजुम रहबर
*
तुझ को भी क्यूँ याद रखा
सोच के अब पछताते हैं
आशुफ़्ता चंगेज़ी
*
मौसम-ए-गुल हमें जब याद आया
जितना ग़म भूले थे सब याद आया
कलीम आजिज़
*
इक तिरी याद से इक तेरे तसव्वुर से हमें
आ गए याद कई नाम हसीनाओं के
हबीब जालिब
*
मैं सोचता हूँ मगर याद कुछ नहीं आता
कि इख़्तिताम कहाँ ख़्वाब के सफ़र का हुआ
शहरयार
*
यूँ जी बहल गया है तिरी याद से मगर
तेरा ख़याल तेरे बराबर न हो सका
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
*
दिल से ख़याल-ए-दोस्त भुलाया न जाएगा
सीने में दाग़ है कि मिटाया न जाएगा
अल्ताफ़ हुसैन हाली
*
मैं अपने दिल से निकालूँ ख़याल किस किस का
जो तू नहीं तो कोई और याद आए मुझे
क़तील शिफ़ाई
*
होते ही शाम जलने लगा याद का अलाव
आँसू सुनाने दुख की कहानी निकल पड़े
इक़बाल साजिद
*
दिल जो टूटा है तो फिर याद नहीं है कोई
इस ख़राबे में अब आबाद नहीं है कोई
सरफ़राज़ ख़ालिद
*
बिजली चमकी तो अब्र रोया
याद आ गई क्या हँसी किसी की
गोया फ़क़ीर मोहम्मद
*
ठहरी ठहरी सी तबीअत में रवानी आई
आज फिर याद मोहब्बत की कहानी आई
इक़बाल अशहर
*
भूले-बिसरे हुए ग़म फिर उभर आते हैं कई
आईना देखें तो चेहरे नज़र आते हैं कई
फ़ुज़ैल जाफ़री
*
उन दिनों घर से अजब रिश्ता था
सारे दरवाज़े गले लगते थे
मोहम्मद अल्वी
*
ज़िंदगी हो तो कई काम निकल आते हैं
याद आऊँगा कभी मैं भी ज़रूरत में उसे
फ़ाज़िल जमीली
*
याद आओ मुझे लिल्लाह न तुम याद करो
मेरी और अपनी जवानी को न बर्बाद करो
अख़्तर शीरानी
*
बरसों हुए न तुम ने किया भूल कर भी याद
वादे की तरह हम भी फ़रामोश हो गए
जलील मानिकपूरी
*
रात इक शख़्स बहुत याद आया
जिस घड़ी चाँद नुमूदार हुआ
अज़ीज अहमद ख़ाँ शफ़क़
*
ये भूल भी क्या भूल है ये याद भी क्या याद
तू याद है और कोई नहीं तेरे सिवा याद
जलालुद्दीन अकबर
*
गुज़रे जो अपने यारों की सोहबत में चार दिन
ऐसा लगा बसर हुए जन्नत में चार दिन
ए जी जोश
*
याद अश्कों में बहा दी हम ने
आ कि हर बात भुला दी हम ने
ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर
*
तुम्हारी याद में दुनिया को हूँ भुलाए हुए
तुम्हारे दर्द को सीने से हूँ लगाए हुए
असर सहबाई
*
दम-ब-दम उठती हैं किस याद की लहरें दिल में
दर्द रह रह के ये करवट सी बदलता क्या है
जमाल पानीपती
*
कभी रोता था उस को याद कर के
अब अक्सर बे-सबब रोने लगा हूँ
अनवर शऊर
*
बहुत उदास हो तुम और मैं भी बैठा हूँ
गए दिनों की कमर से कमर लगाए हुए
अहमद मुश्ताक़
*
यही दो काम मोहब्बत ने दिए हैं हम को
दिल में है याद तिरी ज़िक्र है लब पर तेरा
जलील मानिकपूरी
*
ये बे-सबब नहीं आए हैं आँख में आँसू
ख़ुशी का लम्हा कोई याद आ गया होगा
अख़्तर सईद ख़ान
*
आफ़त-ए-जाँ हुई उस रू-ए-किताबी की याद
रास आया न मुझे हाफ़िज़-ए-क़ुरआँ होना
हैदर अली आतिश
*
मुद्दतें हो गईं बिछड़े हुए तुम से लेकिन
आज तक दिल से मिरे याद तुम्हारी न गई
अख़्तर शीरानी
*
याद आईं उस को देख के अपनी मुसीबतें
रोए हम आज ख़ूब लिपट कर रक़ीब से
हफ़ीज़ जौनपुरी
*
लोबान में चिंगारी जैसे कोई रख जाए
यूँ याद तिरी शब भर सीने में सुलगती है
बशीर बद्र
*
देखिए अब न याद आइए आप
आज कल आप से ख़फ़ा हूँ मैं
उम्मतुर्रऊफ़ नसरीन
*
सब को हम भूल गए जोश-ए-जुनूँ में लेकिन
इक तिरी याद थी ऐसी जो भुलाई न गई
जिगर मुरादाबादी
*
गिन रहा हूँ हर्फ़ उन के अहद के
मुझ को धोका दे रही है याद क्या
अज़ीज़ हैदराबादी
*
कर कुछ ऐसा कि तुझे याद रखूँ
भूल जाने का तक़ाज़ा ही सही
जव्वाद शैख़
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किसी के बिन किसी की याद के बिन
जिए जाने की हिम्मत है नहीं तो
जौन एलिया
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हो गए दिन जिन्हें भुलाए हुए
आज कल हैं वो याद आए हुए
अनवर शऊर
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कोई पुराना ख़त कुछ भूली-बिसरी याद
ज़ख़्मों पर वो लम्हे मरहम होते हैं
अंजुम इरफ़ानी
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शाम हो या कि सहर याद उन्हीं की रखनी
दिन हो या रात हमें ज़िक्र उन्हीं का करना
हसरत मोहानी
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मेरे दुश्मन न मुझ को भूल सके
वर्ना रखता है कौन किस को याद
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
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अब तुझे कैसे बताएँ कि तिरी यादों में
कुछ इज़ाफ़ा ही किया हम ने ख़यानत नहीं की
हलीम कुरेशी
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और कम याद आओगी अगले बरस तुम
अब के कम याद आई हो पिछले बरस से
स्वप्निल तिवारी
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अकेला पा के मुझ को याद उन की आ तो जाती है
मगर फिर लौट कर जाती नहीं मैं कैसे सो जाऊँ
अनवर मिर्ज़ापुरी
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याद में ख़्वाब में तसव्वुर में
आ कि आने के हैं हज़ार तरीक़
बयान मेरठी
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लीजिए सुनिए अब अफ़्साना-ए-फ़ुर्क़त मुझ से
आप ने याद दिलाया तो मुझे याद आया
दाग़ देहलवी
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नींद मिट्टी की महक सब्ज़े की ठंडक
मुझ को अपना घर बहुत याद आ रहा है
अब्दुल अहद साज़
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फिर किसी की याद ने तड़पा दिया
फिर कलेजा थाम कर हम रह गए
फ़ानी बदायुनी
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घर से बाहर नहीं निकला जाता
रौशनी याद दिलाती है तिरी
फ़ुज़ैल जाफ़री
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कहीं ये तर्क-ए-मोहब्बत की इब्तिदा तो नहीं
वो मुझ को याद कभी इस क़दर नहीं आए
हफ़ीज़ होशियारपुरी
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अब जी में है कि उन को भुला कर ही देख लें
वो बार बार याद जो आएँ तो क्या करें
अख़्तर शीरानी
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कोई यादों से जोड़ ले हम को
हम भी इक टूटता सा रिश्ता हैं
बशर नवाज़
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यादों की महफ़िल में खो कर
दिल अपना तन्हा तन्हा है
आज़ाद गुलाटी
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सारी दुनिया के ख़यालात थे दिल में लेकिन
जब से है याद तिरी कुछ भी नहीं याद मुझे
जलील मानिकपूरी
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ख़्वाब में नाम तिरा ले के पुकार उठता हूँ
बे-ख़ुदी में भी मुझे याद तिरी याद की है
लाला माधव राम जौहर
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मिरा ख़याल नहीं है तो और क्या होगा
गुज़र गया तिरे माथे से जो शिकन की तरह
कमाल अहमद सिद्दीक़ी
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याद भी तेरी मिट गई दिल से
और क्या रह गया है होने को
अबरार अहमद
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शाम-ए-हिज्राँ भी इक क़यामत थी
आप आए तो मुझ को याद आया
महेश चंद्र नक़्श
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याद और उन की याद की अल्लाह-रे मह्वियत
जैसे तमाम उम्र की फ़ुर्सत ख़रीद ली
माइल लखनवी
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वो इक दिन जाने किस को याद कर के
मिरे सीने से लग के रो पड़ा था
अंजुम सलीमी
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तुम्हें ये ग़म है कि अब चिट्ठियाँ नहीं आतीं
हमारी सोचो हमें हिचकियाँ नहीं आतीं
चराग़ शर्मा
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तुझे कुछ उस की ख़बर भी है भूलने वाले
किसी को याद तेरी बार बार आई है
कौसर नियाज़ी
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'साजिद' तू फिर से ख़ाना-ए-दिल में तलाश कर
मुमकिन है कोई याद पुरानी निकल पड़े
इक़बाल साजिद
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नींद से उठ कर वो कहना याद है
तुम को क्या सूझी ये आधी रात को
अहमद हुसैन माइल
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ख़ैर से दिल को तिरी याद से कुछ काम तो है
वस्ल की शब न सही हिज्र का हंगाम तो है
हसन नईम
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यक-ब-यक नाम ले उठा मेरा
जी में क्या उस के आ गया होगा
ख़्वाजा मीर दर्द
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याद-ए-माज़ी की पुर-असरार हसीं गलियों में
मेरे हमराह अभी घूम रहा है कोई
ख़ुर्शीद अहमद जामी
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याद का ज़ख़्म भी हम तुझ को नहीं दे सकते
देख किस आलम-ए-ग़ुर्बत में मिले हैं तुझ से
सलीम कौसर
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तमाम यादें महक रही हैं हर एक ग़ुंचा खिला हुआ है
ज़माना बीता मगर गुमाँ है कि आज ही वो जुदा हुआ है
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
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कहानी अपनी अपनी अहल-ए-महफ़िल जब सुनाते हैं
मुझे भी याद इक भूला हुआ अफ़्साना आता है
अम्न लख़नवी
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'अजमल'-सिराज हम उसे भूल हुए तो हैं
क्या जाने क्या करेंगे अगर याद आ गया
अजमल सिराज
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किस तरफ़ आए किधर भूल पड़े ख़ैर तो है
आज क्या था जो तुम्हें याद हमारी आई
लाला माधव राम जौहर
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मैं किनारे पे खड़ा हूँ तो कोई बात नहीं
बहता रहता है तिरी याद का दरिया मुझ में
बक़ा बलूच
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यूँ रात गए किस को सदा देते हैं अक्सर
वो कौन हमारा था जो वापस नहीं आया
क़मर अब्बास क़मर
*
वो मिल न सके याद तो है उन की सलामत
इस याद से भी हम ने बहुत काम लिया है
कौसर नियाज़ी
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आज कुछ रंग दिगर है मिरे घर का 'ख़ालिद'
सोचता हूँ ये तिरी याद है या ख़ुद तू है
ख़ालिद शरीफ़
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अब भी आती है तिरी याद प इस कर्ब के साथ
टूटती नींद में जैसे कोई सपना देखा
अख़तर इमाम रिज़वी
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जी न सकूँ मैं जिस के बग़ैर
अक्सर याद न आया वो
अतहर नफ़ीस
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ये किस की याद की बारिश में भीगता है बदन
ये कैसा फूल सर-ए-शाख़-ए-जाँ खिला हुआ है
हुमैरा राहत
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जिस तरफ़ जाएँ जहाँ जाएँ भरी दुनिया में
रास्ता रोके तिरी याद खड़ी होती है
अहमद राही
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तुम्हारी याद निकलती नहीं मिरे दिल से
नशा छलकता नहीं है शराब से बाहर
फ़हीम शनास काज़मी
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चमक रहे थे अंधेरे में सोच के जुगनू
मैं अपनी याद के ख़ेमे में सो नहीं पाया
ख़ालिद मलिक साहिल
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मुझे वो याद करते हैं ये कह कर
ख़ुदा बख़्शे निहायत बा-वफ़ा था
हिज्र नाज़िम अली ख़ान
*
मिरा अकेला ख़ुदा याद आ रहा है मुझे
ये सोचता हुआ गिरजा बुला रहा है मुझे
साक़ी फ़ारुक़ी
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नए चराग़ जला याद के ख़राबे में
वतन में रात सही रौशनी मनाया कर
साक़ी फ़ारुक़ी
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यूँ गुज़रता है तिरी याद की वादी में ख़याल
ख़ारज़ारों में कोई बरहना-पा हो जैसे
सय्यद एहतिशाम हुसैन
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ऐ आरज़ू के धुँदले ख़राबो जवाब दो
फिर किस की याद आई थी मुझ को पुकारने
साहिर लुधियानवी
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मंज़र था राख और तबीअत उदास थी
हर-चंद तेरी याद मिरे आस पास थी
वज़ीर आग़ा
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किसी जानिब से कोई मह-जबीं आने ही वाला है
मुझे याद आ रही है आज मथुरा और काशी की
अब्दुल हमीद अदम
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ख़ुद मुझ को भी ता-देर ख़बर हो नहीं पाई
आज आई तिरी याद इस आहिस्ता-रवी से
फ़िराक़ गोरखपुरी
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याद तिरी जैसे कि सर-ए-शाम
धुँद उतर जाए पानी में
राजेन्द्र मनचंदा बानी
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यादों के शबिस्तान में बैठा हुआ साइल
तन्हा जो नज़र आता है तन्हा नहीं होता
साईल इमरान
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तुम जो कहते हो बिगड़ कर हम न आएँगे कभी
ये भी कह दो अब न आएगी हमारी याद भी
जलील मानिकपूरी
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खिला रहेगा किसी याद के जज़ीरे पर
ये बाग़ मैं जिसे वीरान करने वाला हूँ
आफ़ताब हुसैन
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रंग-ए-दिल रंग-ए-नज़र याद आया
तेरे जल्वों का असर याद आया
बाक़ी सिद्दीक़ी
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अभी सहीफ़ा-ए-जाँ पर रक़म भी क्या होगा
अभी तो याद भी बे-साख़्ता नहीं आई
अदा जाफ़री
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कभी भुलाया कभी याद कर लिया उस को
ये काम है तो बहुत मुझ से काम उस ने लिया
फ़ैसल अजमी
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जाते हुए कमरे की किसी चीज़ को छू दे
मैं याद करूँगा कि तिरे हाथ लगे थे
दानिश नक़वी
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ख़बर देती है याद करता है कोई
जो बाँधा है हिचकी ने तार आते आते
अफ़सर इलाहाबादी
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रह रह के कौंदती हैं अंधेरे में बिजलियाँ
तुम याद कर रहे हो कि याद आ रहे हो तुम
हैरत गोंडवी
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किसी की याद से दिल का अंधेरा और बढ़ता है
ये घर मेरे सुलगने से मुनव्वर हो नहीं सकता
ग़ुलाम हुसैन साजिद
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यादों ने उसे तोड़ दिया मार के पत्थर
आईने की ख़ंदक़ में जो परछाईं पड़ी थी
आदिल मंसूरी
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एक हँसती हुई बदली देखी
एक जलता हुआ घर याद आया
बाक़ी सिद्दीक़ी
*
बसी है सूखे गुलाबों की बात साँसों में
कोई ख़याल किसी याद के हिसार में है
ख़ालिदा उज़्मा
*
याद न आने का व'अदा कर के
वो तो पहले से सिवा याद आया
करामत बुख़ारी
*
ये सच है कि औरों ही को तुम याद करोगे
मेरे दिल-ए-नाशाद को कब शाद करोगे
जोशिश अज़ीमाबादी
*
न हालत मेरी कुछ कहना न मतलब नामा-बर कहना
जो मुमकिन हो तो ये कहना तुम्हारी याद आती है
जलील मानिकपूरी
*
तुम्हारी याद मेरा दिल ये दोनों चलते पुर्ज़े हैं
जो इन में से कोई मिटता मुझे पहले मिटा जाता
बेख़ुद देहलवी
*
फिर गई इक और ही दुनिया नज़र के सामने
बैठे बैठे क्या बताऊँ क्या मुझे याद आ गया
हमीद जालंधरी
*
तेरे ख़याल में कभी इस तरह खो गए
तेरा ख़याल भी हमें अक्सर नहीं रहा
जमाल एहसानी
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हर एक सम्त तिरी याद का धुँदलका है
तिरे ख़याल का सूरज उतर गया मुझ में
आकाश 'अर्श'
*
सब के होते हुए इक रोज़ वो तन्हा होगा
फिर वो ढूँडेगा हमें और नहीं पाएगा वो
अजमल सिराज
*
याद रखने की ये बातें हैं बजा है सच है
आप भूले न हमें आप को हम भूल गए
हातिम अली मेहर
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तआक़ुब में है मेरे याद किस की
मैं किस को भूल जाना चाहता हूँ
कौसर मज़हरी
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नए सिरे से जल उट्ठी है फिर पुरानी आग
अजीब लुत्फ़ तुझे भूलने में आया है
जमाल एहसानी
*
तमाम रात वो पहलू को गर्म करता रहा
किसी की याद का नश्शा शराब जैसा था
अबरार आज़मी
*
हम फ़रामोश की फ़रामोशी
और तुम याद उम्र भर भूले
मिर्ज़ा अज़फ़री
*
गो फ़रामोशी की तकमील हुआ चाहती है
फिर भी कह दो कि हमें याद वो आया न करे
अबरार अहमद
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एक तुम्हारी याद ने लाख दिए जलाए हैं
आमद-ए-शब के क़ब्ल भी ख़त्म-ए-सहर के बाद भी
अली जवाद ज़ैदी
*
ज़ेहन की क़ैद से आज़ाद किया जाए उसे
जिस को पाना नहीं क्या याद किया जाए उसे
सालिम सलीम
*
दिन के शोर में शामिल शायद कोई तुम्हारी बात भी हो
आवाज़ों के उलझे धागे सुलझाएँगे शाम को
रईस फ़रोग़
*
लोग नाज़ुक थे और एहसास के वीराने तक
वो गुज़रते हुए आँखों की जलन से आए
रईस फ़रोग़
*
उन को भूले ज़माना होता है
अश्क आँखों में फिर भी भर आए
वेद राही
*
तिरी याद में थी वो बे-ख़ुदी कि न फ़िक्र-ए-नामा-बरी रही
मिरी वो निगारिश-ए-शौक़ भी कहीं ताक़ ही पे धरी रही
मोहम्मद ज़ुबैर रूही इलाहाबादी
*
ऐ मुज़फ़्फ़र किस लिए भोपाल याद आने लगा
क्या समझते थे कि दिल्ली में न होगा आसमाँ
मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
*
फिर किसी की बज़्म का आया ख़याल
फिर धुआँ उट्ठा दिल-ए-नाकाम से
महेश चंद्र नक़्श
*
मरकज़-ए-जाँ तो वही तू है मगर तेरे सिवा
लोग हैं और भी इस याद पुरानी में कहीं
अबरार अहमद
*
मुझे तो याद है अब तक वो क्या ज़माना था
तिरे जवाब का मौसम मिरे सवाल के दिन
रफ़ीआ शबनम आबिदी
*
तुम्हारी याद के साए भी कुछ सिमट से गए
ग़मों की धूप तो बाहर थी अक्स अंदर था
मुबारक शमीम
*
तू भी रह रह के मुझ को याद करे
मेरा भी दिल तिरी पनाह में है
नुसरत ज़ेहरा
*
तिरा ख़याल दे गया है आसरा कहीं कहीं
तिरा फ़िराक़ हौसले बढ़ा गया कभी कभी