आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
उसका सर सीने पर और वो बेनकाब था क्या गुजरी रात यारों क्या गजब का ख़्वाब था....
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