जमाने भर की रहमत माँग ली मैंने दुआओं में,
दिलों में आरजू है कि एक तू महके फिजाओं में!
तेरी कश्ती की धारा मोड़ के उस ओर कर दी है,
जहाँ जाए खुश रहना खुशी झोली में भर दी है!!
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आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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