आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
उनकी आशिकी में हम कुछ इतना मशरुफ़ रहे के उसके दिल मे पनपता फ़रेब हमें दिख ना सका...
कोशिश थी के बयां करे किस्सा-ए-बेवफ़ाई पर कलम इश्क के सिवा कुछ लिख ना सका...
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