आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
तू ना आया ओ वफ़ा दुश्मन तो क्या हम मर गये, चंद दिन तड़पा किये आख़िर करार आ ही गया!
जी में था ऐ हश्र उससे अब ना बोलेंगे कभी, बेवफा जब भी सामने आया तो प्यार आ ही गया।
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