आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
कई बातें मुहब्बत सबको बुनियादी बताती है, जो परदादी बताती थी वही दादी बताती है!
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