आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
इस अधुरी जवानी का क्या फ़ायदा बिन कथानक कहानी का क्या फ़ायदा जिसमे धुलकर नजर भी न पावन बने आंख में ऐसे पानी का क्या फ़ायदा....
Post a Comment
No comments:
Post a Comment