आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
यहीं रहूँगा कहीं उम्र भर न जाउँगा, ज़मीन माँ है इसे छोड़ कर न जाऊँगा!
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