आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
मैं कैसे लगाऊँ उस पर, बेवफाई का तोहमत.... मेरी किस्मत में ही नहीं थी, उस की सोहबत...
Post a Comment
No comments:
Post a Comment