आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
*बात चली चाँद से सुन्दर कौन है,* *हम गलती से गुलाब बता बैठे,*
*झूंझलाये वो इस कदर,* *झटके से नकाब उठा बैठे*
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