Wednesday, January 30, 2019

Lion शायरी

खुदा भी आशिक़ाना हुआ होगा,
अपने दीदार-ए-कारीगरी पर!
और तुम मुझसे मेरी,
शायरी का सबब पूछती हो!

जो तू नहीं है तो ये मुकम्मल न हो सकेंगी,
तेरी यही अहमियत है मेरी शायरी में!

कई शेर छुपे है तुम्हारी आँखों में,
मैं ढूंढकर कागज़ो को थमा देता हूँ!

वाकई पत्थर दिल ही होते हैं हम दिलजले शायर,
वर्ना अपनी आह पर वाह सुनना कोई मज़ाक नहीं।

मेरी शायरी का असर उनपे हो भी तो कैसे हो ?
कि मैं एहसास लिखता हूँ, तो वो अल्फाज़ पढ़ते हैं।

शायरों से ताल्लुक रखो तबियत ठीक रहेगी,
ये वो हकीम है जो अल्फ़ाज़ों  से इलाज़ करते है!

आज फिर उसकी याद ने रुला दिया,
हमारी वफाओं का क्या खूब सिला दिया,
दो लफ्ज़ लिखने का सलीका न था,
किसी के प्यार ने हमें शायर बना दिया।

कागज़ पर लिखी गज़ल, बकरी  चबा गयी,
सारे शहर  में चर्चा हुई,  बकरी शेर  खा गई ❗

लाख हम शेर कहें ,
लाख इबारत लिखें। 
बात तो वो है जो, 
तेरे दिल में जगह पाती है!

इश्क़ होना भी लाज़मी है शायरी लिखने के लिए वर्ना,
कलम ही लिखती तो हर दफ्तर का बाबू ग़ालिब होता!

चाहूँ तो चंद लफ्जों से,
तेरा पूरा शहर भिगों दूँ,
खैर छोडो़ गुमनाम ही रहनें दो,
ये शायर के इश्क की कहानी है!

जमने दो आज शाम ए महफ़िल,
चलो आज शायरी की जुबां मे बहते हैं.
तुम उठा लाओ ग़ालिब की किताब,
हम अपना *हाल-ए-दिल* कहते हैं !

शायरी नहीं, यह लफज़ो में लिपटे मखमली अहसास हैं हमारे,
सिर्फ  उनके लिए जो बेहद खास हैं हमारे।

जो खो जाता है, मिलकर जिंदगी में।
गज़ल है नाम उसका, शायरी में।।

मैं शकील दिल का हूँ तर्जुमां के मुहब्बतों का हूँ राज़दां. मुझे फ़ख़्र है मेरी शायरी मेरी ज़िन्दगी से जुदा नहीं।

दर्द आँखों से निकला, तो सबने कहा कायर है ये, दर्द अल्फ़ाज़ में क्या ढला, सबने कहा शायर है ये?

ज़िन्दगी जबसे सजल हो गयी,
अश्क तबसे ग़ज़ल हो गयी |
जबसे छोड़ी है मैंने साड़ी ख्वाहिशें,
मेरी छोटी सी कुटिया महल हो गयी ||

1 comment:

Stayin' Alive said...

अल्फ़ाज़ो की..काफ़ियाओ की.. कमी तो नही है,
हर ग़ज़ल मुक्कमल हो..लाज़मी तो नही है,
चलेगी क़लम तो निकलेंगे कुछ जज़्बात ज़रूर,
अभी बंजर दिल की जमीं तो नही है...

पता उसके अश्क़ो का हमें चलता भी तो कैसे,
मौजूद हवा मे कोई नमी तो नही है.....