Friday, January 11, 2019

आलम बहार सा है

ये ज़ुल्फ़-बर-दोश कौन आया ये किस की आहट से गुल खिले हैं,


महक रही है फ़ज़ा-ए-हस्ती तमाम आलम बहार सा है.


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