आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
फक्त यादों के सहारे जी नहीं सकते, नासूर ज़ख्मों को सी नहीं सकते। हमकदम की जरूरत सबको होती है, तन्हा जिंदगी का जहर पी नहीं सकते।।
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