आग के पास कभी, मोम को लाकर देखूं,
हो इजाजत तो तुम्हें, हाथ लगा कर देखूँ।
दिल का मंदिर, बड़ा वीरान नज़र आता है,
सोचता हूँ इसमें तेरी तस्वीर लगा कर देखूँ।।
-राहत इंदौरी
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आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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