कोई तो है जो हाथों में ढाल देता है,
मैं डूबता हूँ तो दरिया उछाल देता है।
हुजूम चलता है दोस्तों का साये की तरह,
मैं गिरता भी हूँ तो कोई एक संभाल लेता है।
'दोष-तो' देखे 'दोस्तों' ने मुझमें काफ़ी
पर देख कर भी, हर कोई टाल देता है।
कैसे अता होगा कर्ज़ ये मुहब्बत का,
इम्तिहाँ ज़िन्दगी का,यही सवाल देता है।
हारूँ भी तो बताते है जीत मेरी,
हर बार आजमाते हैं प्रीत मेरी
लाजवाब , बेमिसाल यार है मेरे
नाहक ही थपथपाते है पीठ मेरी।
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