प्यार के, इकरार के अंदाज सारे खो गये
वो इशारे, रंग सारे, गीत प्यारे खो गये।
ज़िन्दगी से, हर खुशी से, रोशनी से, दूर हम
इस सफर में, अब भँवर में, सब किनारे खो गये।
आप आये, मुस्कराये, खिलखिलाये, क्यों नहीं?
नित मिलन के, अब नयन के चाँद-तारे खो गये।
ज़िन्दगी-भर एक जलधर -सी इधर रहती खुशी
पर ग़मों में, इन तमों में सुख हमारे खो गये।
फूल खिलता, दिन निकलता, दर्द ढलता अब नहीं
हसरतों से, अब खतों से सब नज़ारे खो गये।
तीर दे, कुछ पीर दे, नित घाव की तासीर दे
पाँव को जंजीर दे, मन के सहारे खो गये।
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