इश्क छुपता नहीं है छुपाने से,
जान जाती है दुनिया किसी बहाने से |
जब भडकते हैं इश्क़ के शोले,
दिल की लगी बुझती नहीं बुझाने से |
रौशनी है दूर तलक जायेगी,
चराग जलेगा जब आशियाने में |
चर्चा सरेआम हो ही जाता है,
बात ही कुछ ऐसी है इश्क़ के फसाने में |
नाम हो जाता है बदनाम इश्क में,
बात निकल ही जाती है शामियाने से |
कैसे न जान जाए लोग इश्क वालों को,
इश्क में तो आशिक लगते हैं दीवाने से |
इश्क़ में जुदाई लगती है जहर,
कब तक दूर रहे शमा परवाने से |
इश्क महके जैसा भीना चंदन,
छुपती ही नहीं खुशबू जमाने से |
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