दूरियाँ मजबूरियाँ तन्हाइयाँ
- कैफ़ भोपाली
देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब से
हरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से
- साहिर लुधियानवी
तू कहानी ही के पर्दे में भली लगती है
ज़िंदगी तेरी हक़ीक़त नहीं देखी जाती
- अख़्तर सईद ख़ान
गँवाई किस की तमन्ना में ज़िंदगी मैं ने
वो कौन है जिसे देखा नहीं कभी मैं ने
- जौन एलिया
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