Monday, June 29, 2020

वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं

हज़ार बर्क़ गिरे लाख आंधियाँ उट्ठें
वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं
- साहिर लुधियानवी

थमते थमते थमेंगे आंसू
रोना है कुछ हंसी नहीं है
- बुध सिंह कलंदर

जो कोई आवे है नज़दीक ही बैठे है तिरे
हम कहां तक तिरे पहलू से सरकते जावें
- मीर हसन

ये धूप तो हर रुख़ से परेशां करेगी
क्यूं ढूंढ़ रहे हो किसी दीवार का साया
- अतहर नफ़ीस

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