तो अपनी रूह को हमने तुम्हारा कर दिया होता
मुहब्बत फिर दोबारा से उसी अंदाज़ में होती
मेरे इज़हार पर इक हां दुबारा कर दिया होता
मैं अपनी मांग रख देता खुदा की अंजुमन में जा
जो मेरी बात को तूने गवारा कर दिया होता
हमारे वक़्त ने हमको बहुत बेवस बनाया है
नहीं तो तेरे दीये को सितारा कर दिया होता
मैं तेरी राह भी तकता तुझे हासिल भी कर लेता
बिछड़ते वक़्त ग़र तूने इशारा कर दिया होता
किसी टूटी सी लकड़ी को अगर कश्ती बना लेते
तो इन सागर की लहरों को किनारा कर दिया होता
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