आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
ख़ुशी जिस ने खोजी वो धन ले के लौटा हँसी जिस ने खोजी चमन ले के लौटा मगर प्यार को खोजने जो गया वो न तन ले के लौटा न मन ले के लौटा!
【गोपालदास 'नीरज'】
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