Thursday, July 4, 2019

वो जिन्दगी ही क्या

हद-ए-शहर से निकली तो गाँव गाँव चली
कुछ यादें मेरे संग पांव पांव चली
सफ़र जो धूप का किया तो तजुरबा हुआ
वो जिंदगी ही क्या जो छाँव छाँव चली!

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