आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
हम ने सीने में बसाया, दिल न अपना बन सका! मुस्कुरा कर तुम ने देखा, दिल तुम्हारा हो गया!
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