Monday, July 8, 2019

चुम्बन, प्रेयसी, स्त्री धन


मदिराधर चुंबन, प्रसन्न मन,
मेरा यही भजन औ पूजन!
प्रकृति वधू से पूछा मैंने
प्रेयसि, तुझको दूँ क्या स्त्री-धन?
बोली, प्रिय, तेरा प्रसन्न मन
मेरा यौतुक, मेरा स्त्री धन!

~मैथिलीशरण गुप्त

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