Wednesday, February 20, 2019

न पीने वाले भी

जब से मेरे बाग़ में अंगूर के दाने लगे,
मुझ को दुनिया में ही जन्नत के मज़े आने लगे!
मय-कशों ने ही नहीं ढूँढा मेरे घर का पता,
न पीने वाले भी मुझे अब याद फ़रमाने लगे!

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