नज़र में शोखियां, लब पर मोहब्बत का तराना है,
मेरी उम्मीद की जद में अभी, सारा ज़माना है!
कई जीते हैं दिल के देश, पर मालूम है मुझको!
सिकन्दर हूं मुझे एक रोज, खाली हाथ जाना है!
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
No comments:
Post a Comment