इस तरह गौर से मत देख मेरा हाथ ऐ दोस्त,
इन लकीरों में हसरतों के शिवा कुछ भी नहीं।
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उसने देखा ही नहीं, अपनी हथेली को कभी,
उसमे हलकी सी लकीर मेरी भी थी।
इन लकीरों में हसरतों के शिवा कुछ भी नहीं।
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उसने देखा ही नहीं, अपनी हथेली को कभी,
उसमे हलकी सी लकीर मेरी भी थी।
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