आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
तहजीब की मिसाल गरीबों के घर पे है, दुपट्टा फटा हुआ है मगर सर पे है।
Post a Comment
No comments:
Post a Comment