आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
बिखरती है हसीं जुल्फ, तो बिखर जाने दो, रंगीन वक़्त को और सँवर जाने दो! बाकी न रहे सुबह का खटका कोई, ऐसी एक 💞शाम तो गुजर जाने दो!
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