आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
सुबू में अक्स-ए-रुख़-ए-माहताब देखते हैं, शराब पीते नहीं, हम शराब देखते हैं!
सुबू - शराब का बर्तन
Post a Comment
No comments:
Post a Comment