Tuesday, April 29, 2025

आप जितना भी रूठो हम मना लेंगे

तेरी मोहब्बत भी किराये की घर की तरह हो गया,

जितना भी हमने सजाया पर वो अपना न हो पाया।

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छुपाने लगा हु कुछ राज अपने आप से,

जबसे मोहब्बत हुई है हमे आप से।

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वो वक़्त वो लम्हे कुछ अजीब होंगे,

दुनिया में हम खुश नसीब होंगे,

टूर से जब इतना याद करते है आपको,

क्या होगा जब आप हमारे करीब होंगे।

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पत्थर के दिल में भी जगह बना लेंगे,

आप जितना भी रूठो हम मना लेंगे।

*

दीवानगी में हम कुछ कुछ ऐसा कर

मोहब्बत की सारी हदें पार कर जायेगे।

*

ये बादल भी खुशियो के बारिश ले आते है,

जब ये मोहब्बत हमे आपके करीब ले आते है।

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