दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है
- मिर्ज़ा ग़ालिब
दुनिया की निगाहों में भला क्या है बुरा क्या
ये बोझ अगर दिल से उतर जाए तो अच्छा
- साहिर लुधियानवी
तेरे विसाल के लिए अपने कमाल के लिए
हालत-ए-दिल कि थी ख़राब और ख़राब की गई
- जौन एलिया
उस से कहियो कि दिल की गलियों में
रात दिन तेरी इंतिज़ारी है
- जौन एलिया
और क्या देखने को बाक़ी है
आप से दिल लगा के देख लिया
- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
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