मस्त नज़रों से देख लेना था अगर
तमन्ना थी आज़माने की,
हम तो बेहोश यूँ ही हो जाते क्या
ज़रूरत थी मुस्कुराने की..
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मुझे अब तुम से डर लगने लगा है
तुम्हें मुझ से मोहब्बत हो गई क्या
-जौन एलिया
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ये कहना था उन से मोहब्बत है मुझ को
ये कहने में मुझ को ज़माने लगे हैं
-ख़ुमार बाराबंकवी
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इश्क़ है तो इश्क़ का
इज़हार होना चाहिए
आप को चेहरे से भी
बीमार होना चाहिए
--मुनव्वर राना
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जबाँं खामोश मगर नज़रों में उजाला देखा
उस का इंज़हार-ए-मोहब्बत भी निराला देखा
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