बंजारे हैं रिश्तों की तिजारत नहीं करते
हम लोग दिखावे की मोहब्बत नहीं करते
मिलना है तो आ जीत ले मैदान में हम को
हम अपने क़बीले से बग़ावत नहीं करते
तूफ़ान से लड़ने का सलीक़ा है ज़रूरी
हम डूबने वालों की हिमायत नहीं करते
~नसीम निकहत
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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