आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
नहीं मिला कोई तुम जैसा आज तक,
पर ये सितम अलग है कि मिले तुम भी नहींI
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कहाँ आ के रुकने थे रास्ते कहाँ मोड़ था उसे भूल जा,
वो जो मिल गया उसे याद रख जो नहीं मिला उसे भूल जा।
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