Monday, September 18, 2023

उठा के नाज़ से दामन भला किधर को चले

उठा के नाज़ से दामन भला किधर को चले

इधर तो देखिए बहर-ए-ख़ुदा किधर को चले
 
मिरी निगाहों में दोनों जहाँ हुए तारीक

ये आप खोल के ज़ुल्फ़-ए-दुता किधर को चले
 
अभी तो आए हो जल्दी कहाँ है जाने की

उठो न पहलू से ठहरो ज़रा किधर को चले
 
ख़फ़ा हो किस पे भंवें क्यूँ चढ़ी हैं ख़ैर तो है

ये आप तेग़ पे धर कर जिला किधर को चले
 
मुसाफ़िरान-ए-अदम कुछ कहो अज़ीज़ों से

अभी तो बैठे थे है है भला किधर को चले
 
चढ़ी हैं तेवरियाँ कुछ है मिज़ा भी जुम्बिश में

ख़ुदा ही जाने ये तेग़-ए-अदा किधर को चले
 
गया जो मैं कहीं भूले से उन के कूचे में

तो हँस के कहने लगे हैं 'रसा' किधर को चले


भारतेन्दु हरिश्चन्द्र

No comments: