Saturday, September 16, 2023

आँधी से कोई कह दे कि औकात में रहे

 ये कैंचियाँ हमें उड़ान से खाक रोकेंगी,

कि हम पैरों से नहीहौसलों से उड़ते है।

 

वो चाहता था कि कासा खरीद ले मेरा,

मैं उसके ताज की कीमत लगा के लौट आया ।

 

सूरजसितारेचाँद मेरे साथ में रहें,

जब तक तुम्हारा हाथ मेरे साथ में रहें,

शाखों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम,

आँधी से कोई कह दे कि औकात में रहे।

 

रोज़ पत्थर कि हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं,

रोज़ शीशों से कोई काम निकल आता है।

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