Monday, September 18, 2023

तेरी चाह में हम

फितूर तुझे पाने की

फितूर हीं रह गई।

देखते देखते तू
अश्कों के संग
बह गई।
थी उम्मीद तू
दिल की
दिल में हीं रह गई।
आती जाती थी सांसों में
तू सांसों में हीं घुल गई।
दिल का दर्द अब कुछ
कम सा हो गया है ,
लगता है की अब
तू भी मुझे भूल गई और
फितूर तुझे पाने की
फितूर हीं रह गई ।
ये दीवानापन
ये बंजारापन
ये गलियों की ख़ाक
यादों में तेरी जलकर
कब के हो गए हम राख ।
बंद कर आंखों को
अपनी
एहसासों की पंखों को
खोल
छू जाएगा फिर से
प्यार मेरा
एक बार नाम तू मेरा
बोल ।
एक बार नाम तू मेरा
बोल ।
वही राह
वही मंज़िल
वही धड़कता दिल
तन मन में रास जगाए
एक बार तो
मुझसे मिल ।
लगी है लगन तुझसे
इसे तू प्यार समझ
या फिर मेरी फितूर ।
हसरतें तमाम
हसरतें ही रह गए ।
प्यार के बाग
अब पतझड़ बन के
झड़ गए।
तेरी चाह में हम बस
तील तील जल कर
रह गए ..
मुस्कुराते हुए तू
रुकसत हो गई कहीं
हम वहीं पड़े पड़े
जड़ हो गए ।
चेतना की आवाज़
है अब भी अधूरी तेरे बिना
आ प्यार कर ले एक बार फिर से
ऐ हमदम हमराही हमनवां मेरी , कि
तेरे प्यार को हम वर्षों तरस गए।
तेरे प्यार को हम वर्षों तरस गए।

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