तुम इश्क करो या नफरत,
हर सितम सहेंगे ।
तुम बदल गए,
यह तुम्हारी फितरत है,
हम कभी नहीं बदला करेंगे ।
दिल है, कोई खिलौना नहीं ,
जो खेला और तोड़ दिया ,
तुम तोड़ते रहो ,
हम जोड़ते रहेंगे ।
अहम तुम मे है,
तो अहम् मुझमें भी है ,
मगर झुकते हैं हम,
क्योंकि इश्क इबादत है ।
क्योंकि इश्क इबादत है ।।
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