Wednesday, March 10, 2021

आपका काम है मनाते रहिये!

आग़ाज़-ए-मोहब्बत से अंजाम-ए-मोहब्बत तक 
गुज़रा है जो कुछ हम पर तुम ने भी सुना होगा 
~ दिल शाहजहाँपुरी

अब तो जो मुझपे गुज़रती है गुज़र जाने दो।
मौत अंजाम-ए-मोहब्बत है तो मर जाने दो।।

दिल जिधर जाऐ, उधर जाने दो ।
ये भी एक दोर है, ये दोर गुज़र जाने दो।।

मेरे दामन का भी कुछ हक़ है, गुलिस्तां वालों।
न सही फूल, इसे कांटों ही से भर जाने दो।।

आग़ाज़-ए-मोहब्बत का अंजाम बस इतना है
जब दिल में तमन्ना थी अब दिल ही तमन्ना है

जिगर मुरादाबादी

 औरों की मोहब्बत के दोहराएं हैं अफ़साने
बात अपनी मोहब्बत की होंठों पे नहीं आई
      सूफ़ी तबस्सुम

देखे हैं बहुत हम ने हंगामे मोहब्बत के 
आग़ाज़ भी रुस्वाई अंजाम भी रुस्वाई 

सूफ़ी तबस्सुम

अब कोई ग़म-गुसार हमारा नहीं रहा
दुनिया को ए'तिबार हमारा नहीं रहा

इस फ़र्त-ए-ग़म में ख़ून के आँसू टपक पड़े
अब दिल भी राज़दार हमारा नहीं रहा

- दिल शाहजहाँपुरी

जिंदगी दर्द की तस्वीर न बनने पाए. 
बोलते रहिये जरा हँसते हँसाते रहिये.
रूठना भी है हसीनों की अदा में शामिल. 
आपका काम है मनाते रहिये! 


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