हो भी आराम तो कह दूँ मुझे आराम नहीं
~ दाग़ देहलवी
वो आके पहलू में ऐसे बैठे के
शाम रंगीन हो गई है ;
ज़रा ज़रा सी खिली तबीयत ज़रा सी
ग़मगीन हो गई है ....!!💥
#गुलज़ार
आए थे दिल की प्यास बुझाने के वास्ते
इक आग सी वो और लगा कर चले गए
जिगर मुरादाबादी
आप पहलू में जो बैठें तो सँभल कर बैठें
दिल-ए-बेताब को आदत है मचल जाने की
दिले-बेताब को आराम तो है पर चैन कहाँ ,
वो आए भी अगर है तो जाने के लिए -'
दामन' भोपाली
अगर अपने दिल-ए-बेताब को समझा लिया मैं ने
तो ये काफ़िर निगाहें कर सकेंगी इंतिज़ाम अपना
जहान-ए-इश्क़ में ऐसे मक़ामों से भी गुज़रा हूँ
कि बाज़-औक़ात ख़ुद करना पड़ा है एहतिराम अपना
#महशर_इनायती
हमें है शौक़ कि बे-पर्दा तुम को देखेंगे,
तुम्हें है शर्म तो आँखों पे हाथ धर लेना..!
~दाग़_देहलवी
लेने नहीं देता किसी करवट मुझे आराम
इक शख़्स हटीला मिरे अंदर कोई मुझ सा
ख़ुर्शीद रिज़वी
आइना देख के कहते हैं सँवरने वाले
आज बे-मौत मरेंगे मिरे मरने वाले.
- दाग़ देहलवी.
उनकी फरमाइश नई दिन रात है,
और थोड़ी सी मेरी औकात है..।।
~ दाग़ दहेलवी
मैं तो हूँ चाकरी पर इश्क़ की
वो पूछे है तुझे कुछ काम नहीं?
हर आहट पर गए दहलीज़ तक
उसका मगर कोई पयाम नहीं
किश्तों में गुज़ा किया है ख़ुद को
इश्क़ महंगा बहुत है, बे-दाम नहीं
रात भी नींद भी कहानी भी
हाए क्या चीज़ है जवानी भी
~ फ़िराक़ गोरखपुरी 🌻🌻
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