पार समुंदर जाने वाले प्रीत निभानी मुश्किल है
रातों रात निकाली तुम ने दूर निकलने की सूरत
फिर कहते हो तुम से तो उम्मीद लगानी मुश्किल है
सब सपनों को आग लगा कर कहते हो आबाद रहो
जान-ए-जानाँ अब क़िस्मत में रंग-फ़िशानी मुश्किल है
थोड़ा रुक कर तलब करो तुम सब हालात सुनाऊँगी
रोते रोते टूटे दिल की हाल-बयानी मुश्किल है
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