वो धूप की नरम रज़ाई है
ताज़ा गुलाब लाया हूँ
खुद पहनोगी या पहना दूं मैं
ये दिल की ख्वाहिश आई है
वह पगली लड़की आई है
माना कि कबसे रूठी है
मन की थोड़ी कच्ची है
मैं कान्हा हो तुम राधे
खुद मानोगी या मनाऊँ मैं
प्रस्ताव मनमोहन की आई है
वह पगली लड़की आई है
शहद से मीठी, इमली से खट्टी
खुद केसर, चंदन, रसमलाई है
कैसे रिझाऊं, कैसे समझाऊं तुम्हें
खालोगी या खिलाऊं मैं
फिर भी तोहर लई एक चॉकलेट लाई है
वह पगली लड़की आई है
जिसकी सखियां हैं बादल
जिसके रोएं खरगोशी हैं
जो रेशम की खुद कढ़ाई है
लेकिन फिर भी एक टेढ़ी लाया हूं
खेलोगी, या खेलाऊं मैं
प्रीत की रसम निभाई है
वह पगली लड़की आई है
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