सबके दिल में
कोई नहीं है चैन से
आजकल महफिल में ।
मंजिल को पा लेने की
एक छटपटाहट सी है
सबकुछ निमित है फिर भी
एक बेचैनी सी है ।
परिन्दे घर आयेंगे सही
साम होने तो दो
अभी दिन ढला नहीं
बेचैन तो न हो ।
चैन से कटेगी जिन्दगी
बेखौफ रहा करो
बेजार नहीं ये जिन्दगी
बेचैन तो न हो ।
पल दो पल मे यहाँ क्या हो
किसको है खबर
बेचैन क्यों ये जिन्दगी
सब पर खुदा की रहमत ।
अपने बस केवल बंदगी
सब उसके हवाले कर
कर्मरत हो कर्म कर
बेचैन तो न हो ।
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