Wednesday, March 3, 2021

बेचैनी सी है आजकल

बेचैनी सी है आजकल
सबके दिल में
कोई नहीं है चैन से
आजकल महफिल में ।

मंजिल को पा लेने की
एक छटपटाहट सी है
सबकुछ निमित है फिर भी
एक बेचैनी सी है ।

परिन्दे घर आयेंगे सही
साम होने तो दो
अभी दिन ढला नहीं
बेचैन तो न हो ।

चैन से कटेगी जिन्दगी
बेखौफ रहा करो
बेजार नहीं ये जिन्दगी
बेचैन तो न हो ।

पल दो पल मे यहाँ क्या हो
किसको है खबर
बेचैन क्यों ये जिन्दगी
सब पर खुदा की रहमत ।

अपने बस केवल बंदगी
सब उसके हवाले कर
कर्मरत हो कर्म कर
बेचैन तो न हो ।

No comments: